The Basic Principles Of sidh kunjika
The Basic Principles Of sidh kunjika
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श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
श्री वासवी कन्यका परमेश्वरी अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
मनचाहा फल पाने के लिए ये पाठ कर रहे हैं तो ब्रह्मचर्य का पालन करें. देवी की पूजा में पवित्रता बहुत मायने रखती है.
On chanting on the whole, click here Swamiji suggests, “The more we recite, the more we pay attention, and the greater we attune ourselves towards the vibration of what is staying stated, then the more We are going to inculcate that attitude. Our intention amplifies the Perspective.”
ॐ अस्य श्रीकुंजिकास्तोत्रमंत्रस्य सदाशिव ऋषिः, अनुष्टुप् छंदः,